पहले राजमहल में, 22 को मंदिर में और फिर जन-जन में लौटेंगे श्रीराम – दत्तात्रेय होसबाले | First in the royal palace, on 22nd in the temple and then Shri Ram will return to the people



प्रेस विज्ञप्ति:
पहले राजमहल में, 22 को मंदिर में और फिर जन-जन में लौटेंगे श्रीराम – दत्तात्रेय होसबाले 

नई दिल्ली, 09 दिसंबर 2023।
श्रीराम मंदिर के निर्माण की ऐतिहासिक व गौरवपूर्ण यात्रा को रेखांकित करती पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता जी, विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार जी ने किया। पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा जी हैं, तथा पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि राम शुभ हैं, राम मंगल हैं, राम प्रेरणा हैं, विश्वास हैं। वे धर्म की मूर्ति नहीं विग्रह हैं, स्वयं धर्म हैं। जीवन का मर्म हैं, आदि और अंत हैं। प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात पहले राजमहल में और अब 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी को जन्म स्थान पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं। इसके बाद श्रीराम जन-मन के हृदय मंदिर में लौटेंगे। राष्ट्रीय एकात्मता के लिए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का आंदोलन था। राम मंदिर एक और मंदिर या पर्यटन का केंद्र नहीं है अपितु, यह तो तीर्थाटन का स्तंभ है। श्रीराम की अयोध्या यानि त्याग, अयोध्या यानि लोकतंत्र, अयोध्या यानि मर्यादा है।
उन्होंने कहा कि धर्म की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष सदैव से होता आया है, और यह कभी-कभी सृजन के लिए आवश्यक भी होता है। श्रीराम जन्मभूमि के लिए 72 बार संघर्ष हुआ, हर पीढ़ी ने लड़ाई लड़ी, किंतु कभी हार नहीं मानी। इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की।
श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास और संघर्ष की गाथा को अनेक लेखकों ने लिखा है। किंतु आंदोलन के विस्तृत इतिहास को तथ्यों व दस्तावेजों के साथ विस्तार से और लिखे जाने की आवश्यकता है। ऐसी पुस्तकें आने वाली पीढ़ी और वर्तमान पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्पद हैं।
गीता मनीषी पू स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि अयोध्या में केवल राम मंदिर की नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर व राष्ट्रीय गौरव की नींव पक्की हो रही है। राम हमारी प्रेरणा हैं, हमारी पहचान है, हमारी अस्मिता हैं। श्रीराम हमारे मंदिर में भी हैं और हमारे हृदय मंदिर के कण-कण में भी हैं। उन्होंने कहा कि अब भारत से तुष्टीकरण के बादल छट रहे हैं, चारों ओर भारतीय संस्कृति का पुनरोदय हो रहा है। अब राम जन-जन में लौटेंगे और भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता जी ने कहा कि आज भी हमारे बीच बाबर रूपी शक्तियां हैं, हमें उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम अध्यक्ष आलोक कुमार जी ने कहा कि राम जी का काम हो रहा है, हमारा सौभाग्य यह नहीं कि हमारे सामने हो रहा है। हमारा सौभाग्य है कि हम सब उसमें अपना-अपना योगदान दे रहे हैं। आगामी 22 जनवरी को 5 लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए हम करोड़ों परिवारों को निमंत्रित कर विश्व में 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' के उद्घोष को सार्थक करेंगे।
पुस्तक के लेखक हेमंत शर्मा जी ने कहा कि दो माह से भी कम समय में पुस्तक लिखने की मेरी क्षमता नहीं थी, किंतु राम जी की प्रेरणा ने इसे लिखवा लिया। इदं रामाय, इदं न मम्। अयोध्या सिर्फ एक शहर नहीं, एक विचार और भारत की सांस्कृतिक विरासत है। अयोध्या हमारे लोकतंत्र की जननी तथा लोकमंगल व लोक कल्याण की प्रेरणास्थली है।
नई दिल्ली स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मंच का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार जी ने किया।
भवदीय
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता
विश्व हिंदू परिषद

Press release:
 
First in the royal palace, on 22nd in the temple and then Shri Ram will return to the people - Dattatreya Hosabale
 
New Delhi, December 09, 2023 - The book 'Ram Phir Laute' (‘Ram returned again’) highlighting the historic and glorious journey of the re-construction of Shri Ram Temple was released by Rashtriya Swayamsevak Sangh's Sarkaryavah Dattatreya Hosabale ji, Swami Gyananand ji Maharaj, Justice Hemant Gupta ji, VHP's International Working President Alok Kumar ji. The author of the book is senior journalist Hemant Sharma, and the book has been published by Prabhat Prakashan.
 

Sarkaryavah Dattatreya Hosabale ji said that Ram is Shubh (auspicious), Ram is Mangal (propitious), Ram is inspiration, Ram is faith, conviction. He is not Murti (idol) of Dharma, but Vigrah or Dharma Himself, Dharma Manifest; the essence, the summum bonum of life; is at its initiation, is at its culmination or cosmic perfection. After 14 years of exile, Bhagwan Shri Ram returned first to the royal palace and now after 500 years of struggle returning on 22nd January, 2024 to the grand temple of nativity being built at His place of incarnation (Avataran). After this Shri Ram will return to the heart-temples of the people. There was a movement for liberation of Shri Ram Janmbhoomi temple for national integration and reassertion of cultural nationalism. Ram Temple is not just another temple or tourist centre, but a national centripetal and pivotal hub of pilgrimage. Shri Ram's Ayodhya means cultivation of ability, integrity and humility and renunciation of sub-human nature, Ayodhya means democracy, Ayodhya means Maryada and dignity.
 

He said that there has always been a struggle for the restoration of Dharma (humanism, discipline, law, order), and it is sometimes necessary for creation. There were martial fights for Shri Ram Janmbhoomi 72 times. Every generation fought, but never gave up. People of every language, class, community and sect participated in these battles.
 

The story of the history and struggle of Shri Ram Janmbhoomi has been written by many writers. But a comprehensive, all-inclusive history of the movement needs to be written with wide-ranging facts, figures, documents and graphics. Such books are inspirational for the coming generation as well as the present generation.
 

Gita Manishi Ven. Swami Gyananand Ji Maharaj said that the foundation of not only the Ram temple but the national temple and national pride is being laid in Ayodhya. Ram is our inspiration, our identity, our pride and self-respect. Shri Ram is in the temple and also in our heart-temples and in every particle of our being. He said that now the clouds of appeasement are disappearing from Bharat. There is a renaissance of Bharatiya culture (Kulaachaar) all around. Now Ram will return to the people and Bharat will again become the Vishva Guru (world teacher).
 

On this occasion, special guest Justice Hemant Gupta said that even today there are forces like Babar among us, we need to be cautious of them!
 

Programme Chairman Alok Kumar ji said that Ramji's work is being done. We are fortunate that it is being done in front of us, but, in fact, we are more fortunate that we all are making our squirrel contributions in it. We will make the proclamation of 'Krinvanto Vishwamaaryam' (Let’s ensure refinement, grace and dignity in the world) meaningful in the world by inviting millions of families for the programmes to be held in more than 500,000 temples on 22nd January, 2024.
 

The author of the book, Shri Hemant Sharma ji said, “I did not have the capacity to write the book in less than two months, but the inspiration of Ram ji got it written. “Idam Raamaay, Idam na mama” (It is Ram’s, not mine). Ayodhya is not just a city, it is an idea and cultural heritage of Bharat. Ayodhya is the mother of democracy and the place of inspiration for Welfare of the People.”
 

Prabhat Kumar ji of Prabhat Prakashan moderated and anchored the stage at the book release ceremony organized at Dr. Ambedkar International Centre, New Delhi.
 

Sincerely
Vinod Bansal
National Spokesperson
Vishva Hindu Parishad -VHP