भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के अवरोधों को दूर किया जाए : विहिप
प्रेस वक्तव्य :
नई दिल्ली। जून 21, 2020। विश्व हिन्दू परिषद्(विहिप) केन्द्रीय महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने आज कहा है कि गत सैकड़ों वर्षों से अनवरत रूप से पुरी में निकाली जाने वाली भगवान श्रीजगन्नाथ की परम्परागत रथ यात्रा इस वर्ष भी निकाली जानी चाहिए. कोविड महामारी के संकट काल में भी सभी नियमों तथा जन स्वास्थ्य सम्बन्धी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है। यात्रा की अखण्डता सुनिश्चित करने हेतु कोई मार्ग अवश्य ढूढना चाहिए। आज की परिस्थितियों में यह अपेक्षा कदापि नहीं है कि यात्रा में दस लाख भक्त एकत्रित हों। उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना भी की।
विहिप महा मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के संकट काल में भी, जन-स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, प्राचीन परम्परा की अखण्डता सुनिश्चित करने हेतु, उचित मार्ग निकालना, राज्य सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार अपने इस दायित्व के पालन में पूरी तरह विफल रही है। वास्तव में ओड़िसा सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस सम्बन्ध में सभी पहलू ठीक से नहीं रख पाई।
श्री परांडे ने यह भी कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इस सम्बन्ध में निर्णय लेने से पूर्व सभी सम्बन्धित पक्षों को सुनना चाहिए था. कम से कम पुरी के शंकराचार्य गोबर्धन पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के साथ मंदिर के ट्रस्टीयों तथा यात्रा प्रबंधन समिति को तो सुना ही जाना चाहिए था। भगवान के रथ को प्रतीकात्मक रूप से हाथियों, यांत्रिक सहायता या कोविड परीक्षित पूरी तरह से स्वस्थ व सक्षम सीमित सेवाइतों के माध्यम से भी खींचा जा सकता है। यात्रा की इस पुरातन महान परम्परा के टूटने पर मंदिर के धार्मिक विधि विधानों में व्यवधान उपस्थित होने की सम्भावना अनेक भक्तों ने व्यक्त की है।
Press Statement:
Obstacles of Bhagwan Jagannath's Chariot Festival should be removed: VHP
New Delhi, June 21, 2020 – Vishva Hindu Parishad (VHP) Central Secretary General Sri Milind Parande today said that the traditional annual Rath Yatra (Chariot Festival) of Bhagwan Shree Jagannath at Puri, which has been conducted uninterruptedly in a row for the last hundreds of years, should be taken out this year too! The Rath Yatra can be made possible at the holy Bada Daanda (Grand Avenue) even with all the public health protocols against the COVID-19 pandemic crisis in place. A way out must be found to ensure the annual continuity of the Yatra. In today's circumstances, it is hardly expected that a million devotees would gather in the Yatra. He also requested the Hon'ble Supreme Court to review its decision.
The VHP Secretary General said that it is the conscientiousness and responsibility of the Government of Odisha to take proper steps to ensure the nonstop conduction of this ancient tradition – the pride and identity of Odisha and Bharat – while surely protecting the public health, even during the COVID-19 pandemic crisis. The State Government has completely failed in fulfilling its duty in this respect. In fact, the Government of Odisha could not properly place and articulate all the facts, figures and aspects in this matter before the Hon'ble Supreme Court of Bharat.
Sri Parande also said that the Hon’ble Supreme Court should have heard all the concerned parties and stakeholders before delivering a verdict in this matter. At least, the Shankaracharya of Puri Gobardhan Peethadhishwar Ven. Swami Nischalananda Saraswati Ji Maharaj, the trustees of the temple and the Yatra management committee should have been heard. The chariot of the Bhagwan can also be symbolically drawn by means of elephants, mechanical assistance or required number of well-tested COVID-19-negative perfectly healthy and capable Sevayats (temple servitors).
In Odia:
'ମହାପ୍ରଭୂଙ୍କ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ରଥଯାତ୍ରା ନିମିତ୍ତ ସମସ୍ତ ପ୍ରତିବନ୍ଧକ ଦୂର କରାଯାଉ'
ବିଶ୍ୱ ହିନ୍ଦୁ ପରିଷଦର ଜାତୀୟ ସାଧାରଣ ସଂପାଦକ ଶ୍ରୀ ମିଳିନ୍ଦ ପାରାନ୍ଦେ ଆଜି ମାନ୍ୟବର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟଙ୍କ ଏବର୍ଷର ରଥଯାତ୍ରା ବନ୍ଦ ହେଉ ରାୟ ପରିପ୍ରେକ୍ଷେ ଏହି ମତ ରଖିଛନ୍ତି ଯେ : ମହାପ୍ରଭୂ ଜଗନ୍ନାଥଙ୍କର ଏହି ପାରମ୍ପରିକ ଘୋଷଯାତ୍ରା ଶହଶହ ବର୍ଷ ଧରି ନିରବିଚ୍ଛିନ୍ନ ଭାବେ ସନାତନୀ ହିନ୍ଦୁଧର୍ମର ଧାର୍ମିକ ରୀତିନୀତି ସହ ପାଳନ ହେଇ ଆସୁଛି !
ଏବର୍ଷ ମଧ୍ୟ ମହାମାରୀ କରୋନା ସତ୍ତ୍ୱେ , ସାଧାରଣ ନିୟମବଦ୍ଧତା ଭିତରେ ପବିତ୍ର ବଡଦାଣ୍ଡରେ ଏହା ମଧ୍ୟ ପାଳନ କରା ଯାଇପାରିବ !
ଏଥି ନିମିତ୍ତ ଶାସନରେ ଥିବା ରାଜ୍ୟ ସରକାର ଆବଶ୍ୟକୀୟ ଭିତ୍ତିଭୂମି ପ୍ରଦାନ କଲେ , ଉପୁଜି ଥିବା ଦ୍ୱନ୍ଦ ବା ଅନିଶ୍ଚିତତାର ଅବସାନ ଘଟିବ !
ବର୍ତ୍ତମାନ କରୋନାର ଏହି ଘଡିସନ୍ଧି ମୂହୁର୍ତ୍ତରେ ରଥଯାତ୍ରାରେ ଲକ୍ଷଲକ୍ଷ ଭକ୍ତଙ୍କ ସହୃଦ ଉପସ୍ଥିତି ଆଦୌ ସମ୍ଭବ ନୁହେଁ !
ଏଣୁ ମାନ୍ୟବର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ ଯେ : ରଥଯାତ୍ରା ବାବଦ ନିଷ୍ପତ୍ତିର ପୁନର୍ବିଚାର କରନ୍ତୁ !
ବିଶ୍ୱ ହିନ୍ଦୁ ପରିଷଦର ଜାତୀୟ ସାଧାରଣ ସଂପାଦକ ଏହା ମଧ୍ୟ କହିଛନ୍ତି ଯେ : ଓଡିଶା ସରକାରର ଆତ୍ମିକ ତଥା ପ୍ରମୁଖ ଦାୟୀତ୍ୱ ଏହି ପାରମ୍ପରିକ ଘୋଷଯାତ୍ରାକୁ କିପରି ସୁଚାରୁ ରୂପେ ସଂପାଦନ କରାଯାଇପାରିବ !
ଏମିତିକି ମାନ୍ୟବର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ସାମ୍ନାରେ ରଥଯାତ୍ରା ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ ସଠିକ୍ ଯୁକ୍ତି ସମ୍ବଳିତ ତଥ୍ୟ ଉପସ୍ଥାପନରେ ବିଫଳ ହୋଇଛି ରାଜ୍ୟ ସରକାର !
ଏଣୁ ମାନ୍ୟବର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ରଥଯାତ୍ରା ସମ୍ବନ୍ଧରେ ଚୂଡାନ୍ତ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେବା ପୂର୍ବରୁ ସମସ୍ତ ପକ୍ଷ ଯେମିତିକି ପୁରୀ ଗୋବର୍ଦ୍ଧନ ପୀଠର ଶଙ୍କରାଚାର୍ଯ୍ଯ ଓ ଛତିଶା ନିଯୋଗ କମିଟିକୁ ବି ଶୁଣିବାର ଥିଲା !
ଏପିରିକି ପ୍ରତୀକାତ୍ମକ ଭାବେ ମଧ୍ୟ ହାତୀ,ଯାନ୍ତ୍ରିକ ଉପକରଣ ତଥା ସେବାୟତ ସମୂହଙ୍କର ଜରୁରୀ କୋଭିଡ୍ ଟେଷ୍ଟ କରାଯାଇ ଏହାକୁ ନିୟମବଦ୍ଧତା ଭିତରେ ସଂପାଦିତ କରାଯାଇପାରିବ !
ଶେଷରେ ମହାପ୍ରଭୂଙ୍କ ଅଭିପ୍ସୁ ଭକ୍ତଗଣ ଏହି ଆଶା ଆଶଙ୍କାରେ ଅଛନ୍ତି ଯେ : ଏହି ପାରମ୍ପରିକ ଆବହମାନ ଘୋଷଯାତ୍ରାକୁ ରୋକାଗଲେ ଏହା ଶ୍ରୀମନ୍ଦିରର ବୈଭବଶାଳୀ ଧାର୍ମିକ ପରମ୍ପରା , ସନାତନୀ ହିନ୍ଦୁ ଧର୍ମର ରୀତିନୀତି ତଥା ଆସ୍ଥାବିଶ୍ୱାସର ଇଚ୍ଛାବିରୁଦ୍ଧ ହସ୍ତକ୍ଷେପ ହେବ !
In Bengali:
ভগবান শ্রী জগন্নাথ দেবের রথযাত্রার ওপর বিধিনিষেধ দূর করা হোক - বিশ্ব হিন্দু রিষদ(বি.হি.প)
নয়াদিল্লী-২১ জুন,2020. বিশ্ব হিন্দু পরিষদের কেন্দ্রীয় সাধারণ সম্পাদক মাননীয় শ্রী মিলিন্দ পরান্দেজি আজ বলেছেন যে, বিগত শত শত বছর ধরে পুরীতে ভগবান শ্রী জগন্নাথ দেবের যে, পরম্পরাগত রথযাত্রা অনুষ্ঠিত হয়ে আসছে তা এ বছরও মর্যাদার সাথে আয়োজন করা উচিত। কোভিড মহামারীর এই সংকটকালেও সমস্ত নিয়ম তথা জনস্বাস্থ্য সম্বন্ধিত সমস্ত নিয়ম মেনেই রথযাত্রার আয়োজন করা যেতে পারে।যাত্রাটি যাতে নির্বিঘ্নে সম্পন্ন হয় তা সুনিশ্চিত করার জন্য কোন না কোন উপায় অবশ্যই খোঁজা উচিত। বর্তমান পরিস্থিতিতে দশ লক্ষ ভক্তের একত্র সমাগম আশা করা যায় না। তিনি ভারতের সর্বোচ্চ ন্যায়ালয়কে সিদ্ধান্ত পুনর্বিবেচনা করবার জন্য প্রার্থনা জানিয়েছেন।
বিশ্ব হিন্দু পরিষদের কেন্দ্রীয় সাধারণ সম্পাদক বলেন, করোনা মহামারীর সংকটকালেও জনস্বাস্থ্য সুরক্ষিত রেখে প্রাচীন পরম্পরাগুলি নির্বিঘ্নে আয়োজনের জন্য সঠিক উপায় বের করা রাজ্য সরকারের দায়িত্ব।কিন্তু রাজ্য সরকার তার এই দায়িত্ব পালনে সম্পূর্ণ ব্যর্থ।বাস্তবে উড়িষ্যা সরকার সর্বোচ্চ ন্যায়ালয়ের সমক্ষে এই সম্বন্ধীয় সমস্ত বিষয়গুলো সঠিকভাবে উপস্থাপন করতে ব্যর্থ।
শ্রী পরান্দেজী এটাও বলেন যে,মাননীয় সর্বোচ্চ ন্যায়ালয়ের এই ব্যাপারে কোন সিদ্ধান্ত নেবার আগে সম্পর্কিত সমস্ত পক্ষের কথাগুলো ভালোভাবে শোনা উচিত ছিল।অন্ততপক্ষে,পুরীর শঙ্করাচার্য তথা গোবর্ধন পীঠাধিশ্বর পূজ্য স্বামী নিশ্চলানন্দ মহারাজজির পাশাপাশি,মন্দিরের সমস্ত ট্রাস্টি তথা রথযাত্রা প্রবন্ধন সমিতির কথাগুলো তো শোনা উচিতই ছিল। রথযাত্রার এই মহান পুরাতন পরম্পরা বিঘ্নিত হওয়াতে মন্দিরের ধর্মীয় বিধি বিধানে পরিবর্তন উৎপন্ন হতে পারে বলে অনেক ভক্তই উদ্বেগ প্রকাশ করেছেন।
প্রবক্তা,
বিনোদ বনসল
রাষ্ট্রীয় প্রবক্তা,
বিশ্ব হিন্দু পরিষদ
@vinod_bansal